Wednesday, May 23, 2012

जिंदगी

करवट की वजह से जब भी नींद खुल जाती है तो अधूरे ख्वाबों को पकड़ने की कोशिश करता हूँ . 
कभी मन करता है की खुले आकाश के नीचे बस हाथ फैलाये बिना कुछ कहे घंटो खडा रहता हूँ. 
या कभी इन चंचल तितलियों के पंखों पर सवारी करने का मन करने लगता है.
 उनींदी आँखों से जो भी देखता हूँ सच मान लेता हु. 
मुझे  कभी पहाड़ लुभाते है तो कभी लोग. लोगों को जानने , 
उनसे बात करने की, उन्हें सुनाने की ख्वाहिश सदा साथ रहती है.
 कुछ भी जो लीक से हटकर  है, मुझे  पसंद है. 
जिंदगी को हमेशा परदों में ही मिलता हूँ.
 मैंने सुना है जिंदगी बहुत खुबसूरत है 

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