Monday, May 21, 2012

एक चिठ्ठी राजीव गाँधी को:


प्रिय राजीव,

आज आपको इस दुनिया से कुछ किये हुए २१ साल पुरे हो गए हैं. आज आपकी बहुत याद आ रही है तो मैंने सोचा की क्यूँ ना आपको एक  चिठ्ठी  लिखू मुझे उम्मीद है की आप जहा पर भी इस समय हैं आपको अपने भारत की याद आ रही होगी, और आप अपने भारत के लोगों को बहुत याद  कर रहे होंगे.

आज मै सोच रहा हूँ की अगर आप की मौत ना हुई होती और आपको २-३ कार्यकाल और मिला होता तो भारत आज कहा खड़ा होता. आपकी जानकारी के लिए आपको बता दू की आप जिस  आईटी सेक्टर की नीव भारत में डाले थे, वो आज वट वृक्ष बन गया है. मेरे जैसे लाखों लोग इसकी वदौलत जी खा रहे हैं. फ़ोन हर हाथ में पहुच गया है. आपने जिस युवा वर्ग को ध्यान में रख के  वोट देने की आयु 18 साल  रखा था, वो बहुत ख़ामोशी से सरकारों को उनकी औकात याद  दिला देता है. आप ने जिस पंचायती राज के बारे में सोचा था वो भी बहुत कामयाब रहा है.

आज मै सोचता हू की आप कितने दूरदर्शी थे. आपने अमेरिका के साथ रिश्तों को बनाया, चीन के साथ रिश्तों को सामान्य किये. आज जब मै सोचता हू की जब आपने बोफोर्ष सौदा किया होगा तो आपके मन में जरुर अपने देश को मजबूत बनाने का सपना रहा होगा ये अलग बात है कि आपको बदनामी मिली लेकिन आपको ये जान के ख़ुशी होगी कि कारगिल उसी बोफोर्स तोपों के चलते जीता गया था और उस समय सैनिक आपके जिंदाबाद के नारे लगा रहे थे. रामजेठमलानी जो कि आप पे रोज आरोप  लगाते थे जब वो २००४ के चुनाव लखनऊ से लड़ रहे थे तो उन्होंने स्वीकार किया था कि "हमने उस यंग इंडियन को गलत समझा. वो बहुत आगे कि सोचता था." आपको ये भी जान के ख़ुशी होगी कि आपको कोर्ट ने बेदाग साबित किया था.

राजीव, आज समझ में आता है कि आप कितना आगे कि सोचते थे. आपको तो याद होगा कि १९८५ में कांग्रेस के शताब्दी अधिवेशन में कहा था कि जब हम १०० पैसे यहाँ से भेजते है तो लोगों तक १५ पैसे ही जा पाते है बाकी ८५ पैसे दलाल  बीच में ही खा जाते हैं. आपको ये जान के बहुत दुःख होगा कि आज के समय में शायद ५ पैसा भी नहीं जा पता है.
आपने पंजाब, आसाम,  पूर्वोतर भारत में शान्ती समझौते किये. श्रीलंका में शान्ती सेना भेजे जिसकी कीमत आपको जान दे के चुकानी पड़ी, वहाँ तो शान्ती स्थापित हो गयी है, लेकिन नक्सलवाद बहुत ज्यादा फैल गया है. 

मै बहुत दुःख के साथ बता रहा हू कि आपके बहुत सारे सपने अभी भी पुरे नहीं हो पाए हैं. आपके भारत में अभी भी इंसान भूख से, बेकारी से बेबसी  से मरते हैं. कहने को हम संसार कि छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गए है लेकिन अमीरी-गरीबी का भेद बहुत ज्यादा बढ़ गया है. आज भी आपके भारत में लाखों बच्चे स्कूल नहीं जाते. अभी भी लाखो औरतों के पास पहने को कपडे नहीं हैं. आपको गंगा एक्शन प्लान तो याद ही होगा जो आपने  गंगा को स्वच्क्ष रखने के लिए शुरू किया था उसका सारा पैसा भ्रस्टाचार की भेट चढ़ गया. गंगा आज भी अपनी बेबसी  पे आसू बहा रही है और दिन पे दिन मरती जा रही है.
आज आपकी कांग्रेस भी बहुत बदल गयी है. आपके समय में जो कांग्रेस गरीबों के लिए सोचती थी, आम हिन्दुस्तानियों के लिए सोचती थी, आज वो भी पूंजीवादियों के लिए सोचती है. कहने को तो आज भी समाजवाद का नारा देती है लेकिन समाजवाद अब कांग्रेस के घोषणापत्रों पे ही रह गया है.

आपके समय में जो कांग्रेस काश्मीर से ले के कन्याकुमारी तक होती थी उस कांग्रेस का आधार बहुत तेजी से सिमटता जा रहा है. अब कांग्रेस में जमीं पे काम करने वालों कि पूछ नहीं होती, इसकी नीतियाँ वातानुकूलित कमरों में तैयार होती हैं.
और अंत में आपसे एक शिकवा है कि आपको इतनी जल्दी जाने कि जल्दी क्या थी. काश आपने उस समय सोचा होता कि आपके बिना आपके भारत का क्या होगा.
इश्वर आपकी आत्मा को शान्ती प्रदान करे.


आपका,
दीपक 

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