Monday, May 21, 2012


नशीली रात में, जब तुमने जुल्फों को संवारा  है
हमारे जज्बा-ए-दिल को, उमंगो ने उभारा है
गुलो को मिल गयी  रंगत, तुम्हारे सुर्ख गालों से
सितारों ने चमक पाई तब्बसुम के उजालों  से
तुम्हारी मुस्कराहट ने बहारो को निखारा है
हमारे जज्बा-ए-दिल को  उमंगो ने उभारा  है
लबे रंगीन अरे तौबा गुलाबी कर दिया मौसम
तुम्हारी शोख नजरों ने शराबी कर दिया मौसम
नशे में चूर है आलम, नशीला हर नजारा है
हमारे जज्बा-ए-दिल दिल को, उमंगो ने उभरा है

No comments:

Post a Comment