Monday, May 21, 2012

रात यूँ दिल में तेरी याद आयी
जैसे वीराने में चुपके से बहार आए
जैसे सहराओं में हौले से चले यादे - नसीम 
जैसे बीमार को बेवजह करार आ जाये 
(फैज़ अहमद फैज़ )

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